कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्

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भारतीय संस्कृति की महानता के बारे में बचपन से सुनते आए है, परंतु उनके तथ्यों से अनजान है । आज की शिक्षा प्रणाली ही ऐसी है जो हमें हमारी मूल संस्कृति से जोड़ने का प्रयास नहीं करती । जब मैंने भागवत पुराण में श्रीकृष्ण कथा सुनी तो मेरा मन उसकी ओर आकर्षित हुआ जिससे मैंने वेद और पुराणों को जानने का प्रयास किया है। यह अद्भुत ख़ज़ाना है, जिसका एक-एक शब्द अनमोल मोती है, इस दिव्य ज्ञान को आप सभी तक पहुँचाने का एक प्रयास मात्र है। आइए अपनी वैदिक संस्कृति को जानें और उस पर गर्व करें। मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है कि आज यह अमूल्य धरोहर आपके साथ साँझा करने की प्रेरणा परमपिता परमात्मा ने प्रदान की है।

PURANA

Padma-PURANA
Shiva-PURANA
Bhagavata-PURANA

सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे।तापत्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ।। 

18 पुराणो की श्लोक संख्या भी वर्णित है

बर्हापीडं नटवरवपु: कर्णयो: कर्णिकारं बिभ्रद् वास: कनक कपिशं वैजयन्तीं च मालाम् । रन्ध्रान् वेणो रधर सुधया पूरयन् गोपवृन्दै- र्वृन्दारण्यं स्वपद रमणं प्राविशद् गीतकीर्ति: ॥