PADMA-PURANA

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पद्म पुराण-सृष्टिखण्ड-1

उस स्तुति से सन्तुष्ट होकर महात्मा पृथु ने उन दोनों को वरदान दिया । वरदान में उन्होंने सूत को सूत नामक देश और मागध को मगध का राज्य प्रदान किया था । क्षत्रिय के वीर्य और ब्राह्मणी के गर्भ से जिसका जन्म होता है, वह सूत कहलाता है ।

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पद्मपुराण-2

भीष्म और पुलस्त्यका संवाद

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पद्मपुराण पेज -3

यज्ञ के लिये ब्राह्मणादि वर्णों तथा अन्न की सृष्टि, मरीचि आदि प्रजापति, रुद्र तथा स्वायम्भुव मनु आदि की उत्पत्ति और उनकी संतान – परम्परा का वर्णन

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पद्मपुराण ‘ पेज -4’

लक्ष्मीजी के प्रादुर्भाव की कथा, समुद्र- मंथन और अमृत-प्राप्ति

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पद्मपुराण ‘ पेज -5’

सती का देहत्याग और दक्ष- यज्ञ- विध्वंस

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पद्मपुराण ‘ पेज -6’

देवता, दानव, गन्धर्व, नाग और राक्षसों की उत्पत्ति का वर्णन

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पद्मपुराण सृष्टिखंड-‘ पेज -7’

सृष्टिखंड-मरुद्गणों की उत्पत्ति, भिन्न-भिन्न समुदाय के राजाओं तथा चौदह मन्वन्तरों का वर्णन

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पद्मपुराण ‘ पेज -8’

पृथु के चरित्र तथा सूर्यवंश का वर्णन

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पद्मपुराण ‘ पेज -9’

सृष्टिखंड-पितरों तथा श्राद्धके विभिन्न अङ्गोंका वर्णन

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पद्मपुराण ‘ पेज -10’

एकोद्दिष्ट आदि श्राद्धों की विधि तथा श्राद्धोपयोगी तीर्थों का वर्णन पुलस्त्य जी कहते हैं – राजन् ! अब मैं एकोदिष्ट भाव का वर्णन करूँगा,  जिसे पूर्वकाल में ब्रह्माजी ने बतलाया था । साथ ही यह भी बताऊँगा कि पिता के मरने पर पुत्रों को किस प्रकार अशौच का पालन करना चाहिये । ब्राह्मणों में मरणाशौच […]

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पद्मपुराण ‘ पेज -11’

चन्द्रमा ने केवल श्रीविष्णु के ध्यान में तत्पर होकर चिर काल तक बड़ी भारी तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर परमात्मा श्रीनारायण देव ने उनसे वर माँगने को कहा । तब चन्द्रमा ने यह वर माँगा — ‘मैं इन्द्रलोक में राजसूय यश करूँगा । उसमें आपके साथ ही सम्पूर्ण देवता मेरे मन्दिर में प्रत्यक्ष प्रकट होकर यज्ञभाग ग्रहण करें । शूलधारी भगवान् श्रीशङ्कर मेरे यज्ञ की रक्षा करें ।’ ‘तथास्तु’ कहकर भगवान् श्रीविष्णु ने स्वयं ही राजसूय यज्ञ का समारोह किया।

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पद्मपुराण ‘ पेज -12’

कुन्तिभोज ने महाराज पाण्डु के साथ कुन्ती का विवाह किया । कुन्ती से तीन पुत्र उत्पन्न हुए- युधिष्ठिर, भीमसेन और अर्जुन। अर्जुन इन्द्र के समान पराक्रमी है। वे देवताओं के कार्य सिद्ध करने वाले, सम्पूर्ण दानवो के नाशक तथा इन्द्र के लिये भी अवध्य है । उन्होंने दानवों का संहार किया है। बाकी दूसरी रानी माद्रवती (माद्री) के गर्भ ने दो पुत्रों की उत्पत्ति सुनी गयी है, जो नकुल और सहदेव नाम से प्रसिद्ध हैं। वे दोनों रूपवान् और सत्त्वगुणी है ।

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